स्वाध्यायप्रवचन ६ : मानुषं च स्वाध्यायप्रवचने च। एक बार एक महात्मा नदी में स्नान कर रहे थे , तभी उन्होंने देखा कि एक बिच्छू पानी में डूब रहा है। उसकी जान बचाने के लिए महात्मा ने उसे उठाकर किनारे रखने की कोशिश की। लेकिन बिच्छू ने उन्हें डंक मार दिया , जिससे उन्हें उसे छोड़ना पड़ा। इसके बावजूद , महात्मा ने बिच्छू को बार-बार बचाने का प्रयास किया , और हर बार बिच्छू उन्हें डंक मारता रहा। यह देखकर पास से गुजर रहे एक व्यक्ति से रहा नहीं गया। उसने महात्मा से पूछा , " आप यह क्या कर रहे हैं ? क्यों उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं ? वह तो आपको बार-बार डंक मार रहा है!" महात्मा ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया , " बिच्छू का स्वभाव डंक मारना है , इसलिए वह डंक मार रहा है। लेकिन मनुष्य का स्वभाव प्रेम करना और जीवों की रक्षा करना है। मैं अपने स्वभाव को कैसे भूल सकता हूँ ? इसलिए मैं उसे बार-बार बचाने का प्रयास कर रहा हूँ।" ऐसी कहानियाँ पढ़कर अक्सर हंसी आती है , और कभी-कभी यह भी लगता है कि यह कैसी मूर्खता है। लेकिन अगर इस कहानी में बिच्छू को थोड़ी देर के लिए अलग रखें और सोचें कि महा...
'अभ्यास देशस्थितीचा समतोल चलो' ज्ञान प्रबोधिनीच्या कामाच्या निमित्ताने झालेल्या प्रवासात शिक्षण विश्वाचे झालेले दर्शन व त्या निमित्ताने झालेला विचार मांडण्यासाठीचे लेखन