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ऋतं च स्वाध्यायप्रवचने च।

    ऋतं च स्वाध्यायप्रवचने च। कुछ वर्ष पहले , मार्च माह में प्रशिक्षण के लिए उत्तर प्रदेश के बलिया क्षेत्र की यात्रा पर जाना हुआ। पहले दिन , शाम के समय  महाराष्ट्र के  भुसावल क्षेत्र से गुजरते हुए जब खिड़की से बाहर देखा , तो खेतों में एक पंक्ति में केसरिया रंग की ज्वालाओं से रौशन दृश्य दिखाई दिया। गेहूँ की कटाई के बाद , किसान खेतों में बची हुई डंठल को जलाकर खेतों को साफ कर रहे थें। दूसरे दिन सुबह जब ट्रेन मालवा क्षेत्र से गुज़र   रही थी , तो   नर्मदा की घाटी में फैले खेतों में गेहूँ की कटाई में व्यस्त किसान दिखाई दियें। शाम के समय हमारी ट्रेन गंगा की घाटी जा पहुंचीं । वहाँ  का नजारा थोड़ा और भिन्न था । बाहर  दूर-दूर तक  सुनहरे गेहूँ  की फसलें  खेतों में लहरा  रही थी   औऱ  किसान अपनी खड़ी फसल की कटाई की तैयारी में जुटे थे। महाराष्ट्र से गंगा की घाटी तक फसल के तीन  चरण  दिखाई दिए ।   उसी वर्ष जून में ,   मैं भूगोल विशेषज्ञ श्री सुरेंद्र ठाकूरदेसाई के साथ ग्वालियर ( ...
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