सत्यं च स्वाध्यायप्रवचने च। प्रकृति के सानिध्य में रहकर उसके साथ एकत्व का अनुभव करना , स्वाध्याय का प्रथम सूत्र है , जो हमें ब्रह्मांड के निर्माण और उसके रहस्यों को जानने की प्रेरणा देता है। जड़-चेतन धारणाओं से जुड़ी मूलकण , वंशसूत्र , गुणसूत्र जैसी सूक्ष्मतम चीज़ों के अध्ययन से लेकर ब्रह्मांड के विस्तार के अध्ययन तक का व्यापक आयाम हमें प्रकृति के गहनतम रहस्यों में प्रवेश करने का मार्ग प्रदान करता हैं। ब्रह्मांड के विशाल विस्तार और उसकी अनंतता को समझने का प्रयास करने के लिए पहला उपनिषदिक अध्ययन सूत्र है "ऋतं च स्वाध्याय प्रवचने च।" ऋतम् का अध्ययन ब्रह्मांड के नियमों और संरचनात्मक सिद्धांतों को समझने की कुंजी है। ऋतम् का अध्ययन केवल दार्शनिक धारणा नहीं है , बल्कि यह ब्रह्मांड की रचना और उसके संचालन में निहित नियमों को वैज्ञानिक दृष्टिकोणद्वारा गहराई से समझना है। यह हमें सिखाता है कि ब्रह्मांड किस प्रकार संतुलित और सुव्यवस्थित रूप से कार्य करता है। ऋतम् का स्वाध्याय करते समय हम अपने परिवेश को गहराई से समझने लगते हैं। प्रकृति के रहस्यों की खोज और उन...
'अभ्यास देशस्थितीचा समतोल चलो' ज्ञान प्रबोधिनीच्या कामाच्या निमित्ताने झालेल्या प्रवासात शिक्षण विश्वाचे झालेले दर्शन व त्या निमित्ताने झालेला विचार मांडण्यासाठीचे लेखन
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