प्रजा से प्रजाति तक: अध्ययन और संप्रेषण की परंपरा : १ छात्र प्रबोधन मासिक की तपपूर्ति के अवसर पर , वर्ष २००५ में ' ईशान्य भारत मैत्री अभियान ' का आयोजन किया गया , जिसके तहत मिजोरम राज्य की यात्रा का अवसर मिला। इस यात्रा के दौरान , एक गाँव में हमें ने पाया की वंहा एक घर जिसे ' झोलबुक ' (Zawlbuk) कहा जाता है, उसे संग्रहालय तरह संजोया हुआ है । एक समय मे ये विशेष घर गाँव की रचना का अभिन्न हिस्सा हुआ करता था । ' झोलबुक ' गाँव के युवाओं के लिए एक प्रकार की आवासीय व्यवस्था थी। आधुनिक शिक्षा के प्रसार से पूर्व , विशेष रूप से ब्रिटिश शासन से पहले , मिजो समाज में शिक्षा की एक व्यवस्थित पद्धति थी। इस समाज का विश्वास था कि शिक्षा मनुष्य को बदल सकती है , और वे शिक्षित होने को जीवन का एक महत्वपूर्ण मूल्य मानते थे। ब्रिटिश काल से पहले , ' झोलबुक ' मिजो समाज में मानव निर्माण और चरित्र गठन की एक सशक्त प्रणाली थी। पंद्रह वर्ष से अधिक आयु के सभी मिजो युवकों के लिए इस आवास में रहना अनिवार्य था। यहाँ उन्हें आत्मरक्षा , शिकार और ग्राम शासन का कठोर और अनुशासित प्रश...
'अभ्यास देशस्थितीचा समतोल चलो' ज्ञान प्रबोधिनीच्या कामाच्या निमित्ताने झालेल्या प्रवासात शिक्षण विश्वाचे झालेले दर्शन व त्या निमित्ताने झालेला विचार मांडण्यासाठीचे लेखन