द हिलिंग नाईफ !
सत्रह साल
का जॉर्ज, व्हाईट रशिया के नौदल विभाग में लेफ्टनंट हुद्देपर कार्यरत था । बोल्शेविक सेना के एक गुट के खिलाफ शुरू किये हुए एक आघाडी
पर उसको भेजा जाता है । किनारपट्टीपर उतरने के बाद उसके टुकड़ी को बोल्शेविक खंदक पर आक्रमण करने का आदेश मिलता है । जॉर्ज उसके
दल का नेतृत्व करके खंदकपर घमासान चढ़ाई कर देता है । भयंकर गोलाबारी शुरू हो जाती है । खन्दक में घुसकर संगीन और तलवारों की घनघनाती आवाज शुरू हो
जाती है । घायल सैनिकों को बेस कँपपर वापस भेजकर उनकी जगह नए सैनिक
आते रहते है । इस लड़ाई में जॉर्ज के एक दोस्त को गोली लग जाती है । गोली लगी हुई देखकर जॉर्ज उसके बदले कुमक भेजकर दोस्त को
इलाज के लिए बेस कँपपर भेज देता है ।
शाम होते
होते लड़ाई का जोर धीमा हो जाता है । दोनों सेना
के जवान योग्य अंतर रखकर अपने-अपने मोर्चे पक्के कर देते है । रात को बेस कँप वापिस आने के बाद जॉर्ज अपने घायल सैनिकों
की पूछताछ करते-करते मशाल और अलाव के प्रकाश के सहारे
अस्थायी रूप में खड़े किये हुए उपचार केंद्र में अपने दोस्त को ढूँढ निकालता है । दोस्त गंभीर हालत में घायल होकर ग्लानी में गया हुआ होता है
। केंद्र पर पारिचारिका के पास जॉर्ज अपने दोस्त की तबियत की हलचल पूछता है । पारिचारिका बताती है की उसके पसलियों में गोली घुस गयी है और वह उसके फेफड़ों को नुकसान कर रही है । इस बेस कँपपर शल्य-चिकित्सक नहीं होने के कारण
गोली को निकालना संभव नहीं है । अत: वह कुछ घंटों का ही साथी है।
जॉर्ज बहुत देरतक विचार करता है । गोली निकाली नहीं जा सकी तो दोस्त का बचपाना मुश्किल है, तो फिर इस आपत्कालिन स्थिती में मैं ही शल्यचिकित्सका क्यों न करू? पारिचारिका की सहाय्यता से अपना कॉम्बॅट
नाईफ आग में लाल होने तक तपाकर जॉर्ज अपने दोस्त को लगी हुई
गोली निकाल देता है ।
शल्य-चिकित्सा होने के बाद
जॉर्ज बेस कँपपर बैठा रहता है. उसके मन में विचार आता है, आजतक मैंने इस छुरे से अनेक लोगों को घायल
कर दिया, अनेक लोगों की जान ले ली, आज
पहलीबार किसीको जीवनदान दिया, किसीके प्राण बचाएं ।
सुबह होते
होते दोस्त की तबियत सुधर जाती है और वह मृत्यु के प्रवेशद्वार से बाहर निकल आता
है । दोस्त को अच्छा हुआ देखकर जॉर्ज उसके जीवन का महत्त्वपूर्ण निर्णय ले लेता है, आजतक मैंने छुरी चलाने की यह मेरी कुशलता
का उपयोग लोगों के प्राण लेने के लिए इस्तेमाल किया, अभीसे यह मैं लोगों के प्राण बचाने के लिए इस्तमाल करूँगा ।
पुस्तक के
आगे का भाग एक सैनिक एक शल्यचिकित्सक कैसे बन जाता है इसकी विलक्षण कथा । मुझे पसंद आये किताबों में से एक किताब ‘द
हिलिंग नाईफ’ ।
छुरा वही!
लेकिन कुछ लोग उसको किसीकी हत्या करने के लिए इस्तेमाल करते है,
तो कुछ लोग अपने देशबंधुओं
के संरक्षण करने के लिए इस्तेमाल करते है,
तो कुछ लोग प्राण बचाने के लिए!!
एक सैनिक को उसके शस्त्रसंग्रह में से छुरे को मैं आदमियों को मारने के बजाय आदमियों की जान बचाने के लिए कर सकता हूँ इस विचार का
अवचित हुआ दर्शन इस कथा में मन को छू लेता है ।
हमारे मन में भी ऐसे असंख्य विचार आते रहते है, यह आंतरिक आवाज सुनकर
उस विचार को आत्मसात करे इसलिये के लिये हम जागरूक है क्या?
अगर जागरूक है और विचारभी समझा है ।
तो उसके
अनुसार कृति करने के लिऐ
जॉर्ज जैसी जागरूकता और कृतिशील निश्चय करने की क्षमता हममें है क्या?
ऐसाही विचार अवचित रीतिसे एक जवान वकील के मन में दक्षिण आफ्रिका के पीटरमेरीट्जबर्ग रेलवे स्टेशनपर उसको ढकेल देने के बाद आ गया । यह विचार आत्मसात करनेलायक वह युवक सावध था,
और इस जागरूकता के कारण ही वह युवक ‘महात्मा’ बन गया ।
ऐसेही अचानक एक युवक के सामने एक महारोगी आ गया । उस महारोगी को देखकर पहले भयानक घृणा लगी, लेकिन उस रोगी से दूर न होते
हुए ‘मैंनेही उसकी देखभाल करनी चाहिए’ यह मन में आया हुआ विचार आत्मसात करनेलायक वह युवक सावध था, और इसी जागरूकता के कारण वह
युवक ‘महासेवक’ बन गया ।
ऐसेही एक युवा के पीछे बंदरों का झुण्ड लगा हुआ था । पीछा करनेवाले बंदरों से भागते हुए युवा को देखकर एक साधू ने कहा , “अरे! क्यों भागते हो?
पीछे मुड़ो और उनका सामना करो । उस समय ‘ओ साधुबाबा, आप क्यू सलाह देरहे हो । आपदा तो मेरे उपर आई हैं ।’ ऐसा जवाब न देते हुए ‘आपदाओं से भागना नहीं, उनका डटकर मुकाबला करना’
यह सन्देश आत्मसात करनेलायक वह युवक सावध था, इसी जागरूकता के कारण वह ‘योद्धासंन्यासी’ बन गया ।
अंतर्मन में उमड़े हुए विचार, अंतरात्मा की
आवाज सुनकर उसे आत्मसात करनेलायक जागरूकता होने से ‘किलिंग नाइफ’ यह ‘हिलिंग नाइफ’ बन सकता है ।
अत: समर्थ रामदास स्वामीजी श्रीरामजी के पास बिनतियों करते है,
‘सावधपण मज दे रे राम : सावधानता मुझे देदो रे रामा!’
प्रशांत दिवेकर
ज्ञान प्रबोधिनी, पुणे
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